एक स्त्री के फोटो-नोट्स/ दूसरा भाग Photo-Notes Of a Woman/ Part Two
अंग्रेजी की अध्यापक अमनदीप कौर की रचना पंजाब विश्वविद्यालय : जनवरी, एक फोटो- कविता पूर्व में आपका पन्ना पर सामने आ चुकी है। बाद में आपने देखा उनके नए आयोजन 'एक स्त्री के फोटो-नोट्स' का पहला भाग। कमाल की इन तस्वीरों को लेकर हमारा अंदाज़ था कि आप इसके अगले चरण का व्याकुलता से इंतज़ार करेंगे। और यह सच था। देर आयद दुरुस्त आयद!
एक स्त्री के फोटो-नोट्स/ दूसरा भाग, पहले भाग के अवसाद और बैचेनी की जगह कुछ चटख रंग लिए है, लेकिन अर्थवत्ता के मामले में पहले भाग से पीछे नहीं हैं। जिंदगी की जद्दोज़हद यहाँ भी मौजूद है। इनका काला-सफ़ेद रूप भी नोट करें। तसवीरें खुद बोलती हैं; आप इन्हें पहले भाग की निरंतरता के मायने में ही लें। हमारी नज़र में यह भी बहुत अलग किस्म का काम है। आशा है, आप भविष्य में उनकी तस्वीरों के विविध-रुपी संसार की और झलकें यहाँ देखेंगे।
प्रतीक्षारत नारी का चित्र मन को छू गया । अदभुत प्रयास । बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर। सुकूनदेह। बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
हटाएंकई रातें जगी और जगाई होंगी, तब जाकर ये तस्वीरें बनाई होंगी, कितनी भी बंद करें आंखें और जुबां, दिल की बेताबी नें दोनों खुलावाई होंगी। बहुत ही ख़ूबसूरत और उम्दा तस्वीरें हैं। रातों से संवाद, चहकते चेहरे, पुस्तकों से दोस्ती, दोस्तों से चर्चा -परिचर्चा, वो पिछले बैंच पर बैठना , दरवाजे की चाबी की तरह स्वतंत्रता की चाबी भी स्त्रियों के हाथों में भी कुछ हद तक आ चुकी है। इन तस्वीरों का आकर्षण मुझे बांधे रखता है। बहुत ही आकर्षक, सूंदर, और उम्दा तस्वीरें हैं, अगले स्त्री फ़ोटो नोट्स का बेशब्री से इंतजार रहेगा। बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंकई रातें जगी और जगाई होंगी, तब जाकर ये तस्वीरें बनाई होंगी, कितनी भी बंद करें आंखें और जुबां, दिल की बेताबी नें दोनों खुलावाई होंगी। बहुत ही ख़ूबसूरत और उम्दा तस्वीरें हैं। रातों से संवाद, चहकते चेहरे, पुस्तकों से दोस्ती, दोस्तों से चर्चा -परिचर्चा, वो पिछले बैंच पर बैठना , दरवाजे की चाबी की तरह स्वतंत्रता की चाबी भी स्त्रियों के हाथों में भी कुछ हद तक आ चुकी है। इन तस्वीरों का आकर्षण मुझे बांधे रखता है। बहुत ही आकर्षक, सूंदर, और उम्दा तस्वीरें हैं, अगले स्त्री फ़ोटो नोट्स का बेशब्री से इंतजार रहेगा। बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंहो गया हर्षोल्लास,
जवाब देंहटाएंमनोहारी छवि देख के !
प्रफुल्लित हुआ मन,
यादगार लम्हों से!!
.......सीमा......
छायाकार की चाक्षुक अनुभूति जीवन के विविध पक्षों को अपने कैमरे में बंद कर प्रेषित करती है ।यहां छायाकार ने नारी के अकेलेपन के अलग - अलग, अनूठे पक्षों को अपने कैमरे में कैद किया है जो दिलचस्प भी है और त्रासद भी करता है। अगली कड़ी का इंतजार रहेगा।
जवाब देंहटाएंमधुर कपिला
हटाएंमधुर कपिला
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