हमारा पन्ना Hamara Panna

 हिंदी विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के विद्यार्थियों का अपना पन्ना। उनकी प्रतिभा,कार्यों और गतिविधियों का मंच।  







सेमेस्टर परीक्षाएं लगभग समाप्त हैं।  विद्यार्थियों के मन में इस बात के ख्याल आना स्वाभाविक है, कि पेपर कैसे हुए और आगे किस तरह का रिजल्ट आएगा।  इम्तहानों के नतीज़े आने के नजदीकी समय पर तो ये चिंताएं काफी बढ़ जाती हैं और कई बार गंभीर रूप ले  लेती हैं। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक समीर पारिख ने Hindustan Times के  चंडीगढ़ संस्करण में 6  दिसंबर, 2017 को छपे अपने लेख में इसको लेकर उपयोगी चर्चा की है, जो प्रासंगिक है।  इसका निम्नलिखित सुघड़ अनुवाद प्रथम सेमेस्टर की नीलम ने किया है। ध्यान देने योग्य है कि यह उनका बिल्कुल पहला अनुवाद-प्रयास है। उनका बहुतेरा धन्यवाद। अंत में, आप की सुविधा के लिए मूल अंग्रेजी और लिंक भी दे दिया गया है। 


       क्या करें जब परीक्षा-परिणाम अपेक्षा के अनुरूप न हों

 

 

 

  क्या यह वही समय है जब परीक्षा के परिणाम आने वाले  हैं ?

इस बात से केवल विद्यार्थी ही चिंतित नहीं होते, उनके आसपास का माहौल भी चिंता से भर जाता है। ख़ास रूप से इसका कारण अत्याधिक ऊंची कट ऑफ हैं जो आजकल हर कॉलेज तथा यूनिवर्सिटी तकरीबन हर विषय के लिए निर्धारित कर देती है।

ऐसे प्रतिस्पर्धा से भरे माहौल ही विद्यार्थियों में अत्यधिक दबाव पैदा करते हैं। यह परीक्षा के परिणामों पर आधारित रहते हैं। विद्यार्थी इसे आने वाली किसी अशुभ घटना का संकेत मान लेते हैं जो कि उनके कॉलेज की प्रवेश प्रकिया से जुड़े होते हैं।

निम्नलिखित बिंदुओ को ध्यान में रखा जा सकता है यदि विद्यार्थियों के परीक्षा के परिणाम वैसे नहीं आये, जैसे वे आशा कर रहे थे।

1. शिक्षा अंकों से परिभाषित नहीं होती बजाय अधिक अंक लाने को ही परीक्षा में सफलता मानने के, यह याद रखना अधिक आवश्यक है कि शिक्षा का स्तर अंक प्राप्त करने पर ही सीमित नहीं है। इसका क्षेत्र इससे कहीं आगे का है। शिक्षा के मूल्य का ज्यादा सही मूल्यांकन , आपकी जानकारी, सीखने की क्षमता तथा उसे वास्तविक जीवन में प्रयोग करने की क्षमता पर आधारित होता है। आपको अपनी कोशिशों का मोल डालना चाहिए, परिणाम का नहीं। याद रखें आपको अपने ध्यान का केंद्र बिंदु प्राप्त किए गए अंकों पर नहीं, बल्कि, अपनी परीक्षा के लिए किये गए प्रयासों पर रखना है। चाहे आपकी परीक्षा के परिणाम वैसे न भी आयें जैसे आप चाहते थे, फिर भी आपको  इस बात का ध्यान रखना होगा कि इसके उपर  कई बाहरी तत्वों का प्रभाव भी शामिल रहता है। इसलिए अपने प्रयासों का यथार्थवादी  विश्लेषण करें।

2.  वास्तविकता को स्वीकारें
इसके बाद आपकी अपेक्षायें जो अपने आप से थीं, वे वास्तविक होनी चाहिए। आपके ध्यान में व्यावहारिक तथा बाहरी तत्वों के महत्व का ज्ञान होना भी आवश्यक है।यद्यपि महत्वाकांक्षी होना उचित है, किंतु  हमें सदा  विवेकपूर्ण रहना चाहिए तथा अपनी संभावित कार्य करने की क्षमता के अनुसार ही अपेक्षाएं रखनी चाहिए।

3. अगले कदम के बारे में सोचें

परीक्षा के परिणामों के आने के बाद बार-बार अपने आये हुए अंकों पर विचार करने का कोई लाभ नहीं , और न ही अपने सहपाठियों से अपनी चिंताओं की अदलाबदली करके कोई फायदा होगा। यदि आप यह महसूस करते हैं कि आपने परीक्षाओं में अच्छा नहीं किया है, तो स्वयं को थोड़ा समय दें तथा शांत रहें।
इस प्रकार स्वयं को चिंता में डुबोने से अच्छा होगा कि जो बीत गया उसे भूल कर, आगे के लिए स्वयं को फिर से तैयार करें।
  उन संभावनाओं के बारे में विचार करें जो अब आपके सामने हैं तथा आगे की कार्य-योजना के लिए प्रयासरत हो जाएं।

4. नौकरी -पेशे सम्बन्धी परामर्श

आप अपनी नौकरी के लिए व्यवसाय-सलाहकार से परामर्श ले सकते हैं। इससे आपको नौकरी से संबंधित दुविधाओं से बाहर निकलने में सहायता मिलेगी।
अपनी अभिरुचि, इच्छा,व्यक्तित्व की जानकारी  के आधार पर ही आप अपने स्वभाव के अनुसार अपनी नौकरी के सर्वश्रेष्ठ विकल्प से स्वयं को सज्जित कर सकते हैं।

5. बात करें

याद रखें, परीक्षा के परिणामों तथा दाखिले के समय पर चिंतित हो जाना साधारण बात है। किंतु आपको क्या महसूस होता है, इसके बारे में बात अवश्य करें। आप अपने मित्रों , परिजनों, अध्यापक या व्यवसाय से संबंधित व्यक्ति से अपनी भावनाएं सांझा कर सकते हैं। यदि आपको लगता है कि ऐसी परिस्थिति का सामना करना या उससे बाहर निकलना कठिन हो रहा है तो याद रखें कि आपके आसपास बहुत से ऐसे लोग हैं जो ऐसे समय में आपकी सहायता करेंगे।
नौकरी-पेशा जीवन का केवल एक अंग है।

  और अंत में,  
हमारा जीवन हमारे कैरियर के चुनाव पर  निर्भर नहीं करता। वस्तुतः हमारी शिक्षा तथा व्यवसाय  हमारे जीवन के केवल एक  अंश को दर्शातें है। और बड़े परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए  याद रखें  कि कहीं इन सम्बन्धी हमारी अपेक्षाएं जरूरत से ज्यादा न बढ़ जाएँ।
दस साल के अंतराल के बाद, यदि आप खुश और अपने जीवन में सफल हो तो कोई किसी एक साल में आपके पिछड़ जाने को याद नहीं रखेगा।




  • SAMEER PARIKH The author is director, department of mental health and behavorial sciences, Fortis Healthcare

What to do when academic results does not match expectations?

Is it time for the exam results to be declared? Well, the stress levels begin to mount not just for the students, but also for others around them. Especially in light of the exorbitantly high cut-offs which are being set today by most colleges and universities, for almost each and every stream.
Such competitive environments further contribute to an enormous amount of pressure associated with the results, as the students worry about the impending doom associated with their college admissions.
The following are some of the points which students could keep in mind when their exam results have not been as per their expectations:
education is not defined by your grades
Despite the significance attached to the ‘marks’ you obtain in your exams, it is essential to remember that education actually does go beyond this. A more accurate evaluation of the value of education would be based on your knowledge and learning, and your ability to apply this knowledge to practical use.
evaluate your efforts, not your results
Remember to focus not on the final grades, but also to pay attention to the effort you put in behind the exam. Even if the results do not seem to be proportionate to your results, do keep in mind the influence of various external factors, and therefore make a realistic evaluation of your efforts.
Be realistic
Furthermore, your expectations from yourself should be realistic, keeping in consideration the practicalities and the role of external factors as well. While it is good to be ambitious, but one should always remember to be reasonable and have expectations in accordance with one’s potential abilities.
Think of the next step
After the exam results, it is of no use to spend time mulling over the grades, exchanging notes with your peers. If you feel you haven’t done well, give yourself a break.
Instead, it makes more sense to let go of the bygones, and focus on the next step afresh. Consider the possibilities now open to you, and try and plan your next steps of action.
Career counselling
Be open to seeking the help of a career counsellor, to help clear your confusions.
Based on knowledge of your aptitude, interests, and personality traits, you would be better equipped to make a career choice most suitable to your predisposition.
Talk
Remember, it is normal to feel anxious during exam results and admissions.
But you must talk about the way you feel. You could share your feelings with your friends, your parents, teachers or a professional. If you find it difficult to cope, remember there are always people around who can help you.
Career is only one part of your life
Last but not the least, our life does not depend on the success of our career choices.
In fact, our education and career form only one part of our lives, and we should remember not to let this get blown out of proportion, given the wider perspective.
Ten years down the line, there is an extremely low likelihood of anybody remembering even a year lag, if the person is happy and settled in their life.



 लिंक:
 http://paper.hindustantimes.com/epaper/viewer.aspx


(  28 दिसम्बर, 2017 को प्रकाशित )







अनुवाद की व्यावहारिक विधि 



इसे हम अनुवाद की व्यावहारिक विधि कह सकते हैं । ये एक ही लेख के दो अनुवाद हैं। इनसे एक ही अंग्रेजी मूल के बावजूद अनुवाद को लेकर दो अलग नज़रियों, पृष्ठभूमि और क्षमताओं का पता चलता है।   इन अनुवादों को सेमस्टर तीन के विद्यार्थियों क्रमशः आरज़ू और अर्चना ने किया है। मूल अंग्रेज़ी भी साथ में है । इसलिए तुलना करें और उसका आनंद लें। विषयवस्तु की बेहतर समझ के लिए भी  इसका  उपयोग किया जा सकता है ।स्त्रोत-पाठ का लिंक भी दिया जा रहा है। इन अनुवादकों का यह पहला अनुवाद-प्रयास है । ये हमारी बधाई के पात्र हैं।






      अनुवाद -कार्यविधि 

अनुवाद: आरजू

जीवन के अन्य कार्यो की भांति अनुवाद करने की प्रतिभा भी सभी में अलग -अलग तरह की होती है। अनुवादक भी दूसरे इंसानों की तरह हैं: कुछ कमियाँ, कुछ शक्तियाँ।कभी -कभी हम संकुचित क्षेत्र में भी अच्छा अनुवाद कर लेते है तो कभी बहुत बुरा।

परन्तु भरोसा है  कि अनुवाद-कार्यविधि से अनुवाद में आयी कमियों को दूर किया जा सकता है। जो सामान्य जीवन में भी होता है। सही दिशा में कार्य करके एवं अभ्यास द्वारा अपनी स्वाभाविक कमियों को दूर किया जा सकता है।अच्छा अनुवादक बनना एक मैराथन की तरह है। जन्म से ही कोई एथलीट बनकर नहीं आता और ना ही रिकार्ड्स तोड़ता है। निरन्तर प्रयास कर वह मैराथन में दौड़ने के लिए तैयार होता है। दूसरे क्षेत्रों में  भी इसी तरह का है,जिनमें अनुवाद एक है।मनुष्य का सहज-कौशल जैसा भी हो ,सही अनुवाद कार्यविधि को अपनाकर वह अपने कार्य को सफल बना सकता है।

1 मूलभूत बातें :

यह बहुत ही आश्चर्य की बात है कि अनुवादक प्रभावी अनुवाद की बुनियादी बातों का ध्यान नहीं रखते हैं।जो मूलभूत बातों का ध्यान रखता है, वह अनुवाद की कमियों की पूर्ति करता है। दूसरी ओर जब इस नियम का पालन नहीं करते हैं, तो यह लंबा समय लेता है ।

2 मूल प्रति को पढ़ना:

मूल प्रति को पूरी तरह से एक बार अवश्य पढ़ना चाहिए। मूल प्रति को समझकर आप अनुवाद के क्षेत्र में कूद सकते हैं।रूखा अनुवाद करना एक समय पर दो कार्य करने जैसा है। मूल प्रति को समझने के साथ ही (इस समझ को कई बार बदला जाता है  ) शब्दों का अनुवाद ।यह अयोग्यतापूर्ण है ।

3 अपनी मातृभाषा पर कार्य :

कुछ पेशेवर अनुवादक अपने आपको अधिक प्रतिभाशाली समझते हैं; कि वे किसी भी भाषा में अनुवाद करने में सक्षम हैं। परतु यदि अपनी मातृभाषा से परिचित नहीं होंगे तो आप उच्च गुणवत्ता वाला अनुवाद नहीं कर सकते हैं।

4 समीक्षा एवं दोहराना:

कई अहंकारी अनुवादक समयावधि से पहले अनुवाद कर देते हैं। आमतौर पर ऐसे लोग छोटी -छोटी गलतियां कर बैठते हैं। जैसे - टाइपिंग, शब्दों की गलतियां या कई सामान्य गलतियां करते हैं। अनुवाद प्रति को प्रस्तुत करने से पहले इसका अच्छी तरह से दो -तीन दिन लगा कर विश्लेषण करना चाहिए। पेशेवर अनुवादक इसी तरह करते हैं।

5 शोध की भूमिका:

जब हमारे सामने अनुवाद की गुणवत्ता की बात आती है तो शोध (रिसर्च) बीच में आ जाता है। श्रेष्ठ अनुवादक ऐसा ख़ूब करते हैं। केवल इसलिये की आपको दोनों भाषाऐं आती हैं तो इसका अर्थ ये नहीं है कि आप विषय-वस्तु से भी परिचित हों। वास्तव में उच्च गुणवत्ता वाले अनुवाद के लिए विषय की जानकारी ही पर्याप्त नही है; इसके साथ ही पहलुओं,संदर्भो,एवं संकेतों की जानकारी होनी चाहिए।तकनीकी अनुवाद तो ऐसे पेशेवर अनुवादक के पास करवाना चाहिए जिसकी उस विषय में पर्याप्त पृष्ठभूमि हो । सामान्य अनुवाद में इतिहास ,संस्कृति एवं सभी संदर्भ आते रहते हैं, जिनसे आप परिचित नहीं होते।

अनुवाद-कार्यविधि आकर्षित करने वाला विषय नहीं है । पर अनुवाद के अच्छे सिद्धान्त का पालन कर पेशेवर अनुवाद एवं सामान्य अनुवाद में अंतर आ जाता है।

अनुवाद-प्रविधि


अनुवाद: अर्चना 

जीवन में अन्य वस्तुओं की ही भाँति अनुवाद का गुण भी प्रत्येक व्यक्ति में भिन्न होता है। अनुवादक भी अंततः मनुष्य ही है। अपनी कमियों और श्रेष्ठताओं के साथ कभी-कभी हम अनुवाद के संकीर्ण क्षेत्र में भी बहुत बेहतर होते हैं तो किसी अन्य में बुरे। किन्तु मेरे अनुसार सही प्रविधि के प्रयोग से सभी कमियों से उबरा जा सकता है। जीवन के अन्य पक्षों में भी अपने आप को प्रशिक्षित करने से व किसी चीज को निश्चित ढंग से करने पर हम अपनी कुछ सामान्य व प्राकृतिक कमियों पर विजय पा सकते हैं।
‌  एक अच्छा रूपक है मैराथन में दौड़ना :-  शायद आप में जन्मजात एथलीट होने की योग्यता न हो और आप कोई रिकार्ड भी न तोड़ पाए। किन्तु यदि आप एक प्रशिक्षण की प्रक्रिया से मैराथन के प्रतिस्पर्धी अवश्य बन सकते हैं। इसी तरह अन्य कार्यों में भी होता है वैसे ही अनुवाद में भी। अपने कार्य को करना महत्वपूर्ण होता यह नहीं की आप स्वाभाविक रूप में कितने कुशल हैं। आधारभूत रूप में यह आश्चर्यचकित करने वाली स्थिति होती है, जब हम देखते हैं कि अनुवाद के कितने पक्ष आपने छोड़ दिये जो प्रभावशाली अनुवाद कार्य के लिए आधारभूत सिद्धान्त थे। जब आप मूलभूत चीजों को छोड़ देते है तो आप लापरवाह हो जाते हैं, जबकि अन्य व्यक्ति अपनी बुद्धि की तीव्रता के साथ विशुद्ध भाषायी प्रतिभा के कारण इस कार्य को और अधिक बढ़ा देते हैं। और फिर उसी पुरानी स्थिति की ओर मुड़ते हैं। इसका कारण मूलभूत नियमों का पालन न करना ही हैं।

‌1. मूल का पाठन :-  मूल रचना को कम से कम एक बार पठन अवश्य करना चाहिए। इससे अनुवाद करने में मदद मिलती है। विषयवस्तु को पढ़कर व समझकर अनुवाद करने के लिए, जबकि बिना तैयारी (निरुत्साह) के साथ अनुवाद करने का अर्थ है कि आप एक समय दो कार्य कर रहे हैं।

‌2. मूलभाषा में कार्य करना :-  कुछ ऐसे अनुवादक होते हैं जो स्वयं को अधिक प्रतिभावान समझते हैं, और मानते हैं कि वह किसी भी भाषा में कार्य कर सकते हैं। किन्तु गुणवत्तापूर्ण अनुवाद के लिए आवश्यक हैं कि आपको स्वाभाविक रूप से स्थानीय भाषा का ज्ञान हो जिससे उत्कृष्ट अनुवाद हो सके।

‌3.  समीक्षा और पुनः विचार :-  कुछ अहंकारी अनुवादक, अनुवाद समय सीमा से ठीक पहले सम्पन्न करते हैं; जिसका अर्थ हैं वह कुछ सीमा तक ही परिष्कृत होता हैं। परंतु छोटी-छोटी त्रुटिया, टंकण की त्रुटि, शाब्दिक त्रुटिया, सामान्य त्रुटिया उसमें होती हैं। किंतु अनुभवी अनुवादक अपने अनुवाद के प्रस्तुतिकरण से पूर्व एक-दो दिन पूर्व उसकी समीक्षा और पुनः अवलोकन करते हैं।

4. शोध की भूमिका :-  एक अन्य विषय उदित होता है कि गुणवत्तापूर्ण अनुवाद एक शोध है। जैसा कि एक अच्छा अनुवादक करता है और अधिक परिश्रम करता है। इसका अर्थ केवल यह नहीं होता कि आप दो भाषाओं को जानते हैं तो आप विषय भी समझ जाएंगे। जबकि तकनीकी अनुवाद में अनुवाद के विषय के पक्ष में उचित पृष्ठभूमि के आधार पर कार्य करना पड़ता है। प्रतिदिन के अनुवाद में ऐतिहासिक घटनाएं, सांस्कृतिक धारणाएं और अन्य सन्दर्भ जिनसे की आप परिचित नहीं होते हैं। उच्च स्तर के अनुवाद के सृजन से केवल यह अभिप्राय नहीं है कि केवल विषय का ज्ञान आवश्यक है; परंतु सभी पक्षों, सन्दर्भ और संकेतों के ज्ञान अनिवार्य है। जिसके लिए शोध-प्रविधि जिसका अर्थ अच्छे विषयों से नहीं, किंतु विधि का पालन करने से ही अंतर दृष्टिगोचर होता है, एक सामान्य व अनुभवी अनुवादक में।



                                            Translation Methodology

Like anything else in life, translation quality varies from person to person. Translation professionals are human beings, with all their associated failings and strengths, and sometimes we’re very good at a very narrow area of translation work and very bad at everything else.

But I strongly believe that almost all deficiencies can be overcome, in translation as well as life in general, by applying proper methodology. Doing things the right way and training yourself can overcome a great many innate weaknesses. A good metaphor is running a marathon: You may not have innate athletic ability and you may never break time records, but if you follow a training regimen you can become competent at running marathons. It’s the same with anything else, including translation work: Following the right methodology can improve your work no matter what your natural skill level.

The Basics

It’s surprising how many translation pros skip what I believe to be some of the most basic principles of effective translation work. When you skip the fundamentals, you get sloppy, and while some of us may have the quickness of mind to compensate with sheer linguistic talent, it makes for more work and longer turn-arounds when you don’t adhere to these basic methods:

1. Read the Original. Reading the original document completely at least once is absolutely essential. This allows you to dive into the translation with a working understanding of the text. Doing ‘cold’ translations means you’re doing two jobs at once: Comprehending the original (and often revising that comprehension as you go) and then translating the words. It’s inefficient.

2. Work in Your Native Tongue. There are a few translation pros who think they are so talented they can work in any language, but a quality translation requires you to have the instinctual familiarity of a native language to be truly high-quality.

3. Review and Revise. Some cocky translators will finish a translation right before the deadline and turn it in. Usually this means it’s riddled with tiny errors – typos, mistaken words, simple mistakes. Taking the time to sleep on it and review and revise before submission adds a day or two to your turn-around, but it’s what professionals do.

The Role of Research

The other issue that comes up when you discuss quality translation is research. Put simply, the best translators do it, and do a lot of it. Just because you can speak both languages does not mean you’re familiar with the subject matter. While technical translations typically go to translation pros with an appropriate background for the material, regular translations often involve historical events, cultural concepts, and other references with which you’re not familiar. Crafting a truly high-quality translation means understanding not just the core subject matter but all of the asides, references, and allusions as well. And that takes research.

Methodology isn’t the sexiest of subjects, I know, but adherence to a good method is the difference between being a mediocrity and being a professional.


 लिंक:




 

 




 
















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