मुक्तिबोध के बहाने मुक्तिबोध ... Muktibodh for Muktibodh
यह मुक्तिबोध का सौवाँ जयंती वर्ष है। इंटरनेट पर इधर-उधर घूमने से पता चलता है कि स्वांत्र्योत्तर भारत के इस सर्वाधिक ईमानदार, प्रतिभाशाली और संघर्षशील कवि-कथाकार-आलोचक-चिंतक को साहित्यिक संस्थाओं और अकादमिक संस्थानों ने याद करने में खासी हलचल दिखाई है। इसी तरह उन पर उपलब्ध ऑनलाइन पाठ्य-सामग्री भी धीरे-धीरे एक लाइब्रेरी में तब्दील हो रही है। उसी का एक संग्रह यहाँ पेश है। इससे मुक्तिबोध के बारे में एक आलोचनात्मक राय बनाने में मदद मिलती है और यह भी पता चलता है कि हिंदी में उनके बारे क्या सोचा जा रहा है। ख़ास कर समकालीन हलकों में, क्योंकि मुक्तिबोध पर बहुत कुछ लिखा गया है और उसमें काफी कुछ अपेक्षाकृत पुरानी पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं में संगृहीत है। आशा करते हैं कि देर-सबेर वह भी ऑनलाइन उपलब्ध होगा। संभवतः हिंदी में मुक्तिबोध का विशिष्ट डिजिटल डाटा-बेस बनाने की शुरुआत ऐसे ही होगी। तब शायद इस पोस्ट की कोई उपयोगिता बने; यद्यपि यह निश्चित ही सम्पूर्ण नहीं है और आप भी इसमें योगदान डाल सकते हैं; हमें बताकर, यदि आप कुछ नया ऑनलाइन पाएं। हम भी ढूंढते रहेंगे। यह भी स्वाभाविक है कि नेट पर हर रोज कुछ नया भी जुड़ता जाता है। इस दिशा में ब्लॉगसेतु का काम भी प्रशंसनीय है और उसको यहाँ शामिल किया गया है।
स्पष्ट है कि यह पोस्ट मुक्तिबोध का विभिन्न स्तरों पर अध्ययन करने वाले शिक्षार्थियों के लिए 100 के लगभग नेट-स्थलों की यह सूची उपयोगी साबित होगी। उन पर आलोचनात्मक या शोधपरक काम करने वालों के लिए भी। हिंदी शिक्षण में ऑनलाइन स्रोतों के उपयोग की संस्कृति के विकास में भी कुछ सहयोग इसका होगा ही।
यहाँ दो अलग खण्डों में उनकी सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कविता 'अँधेरे में' तथा उनके समग्र मूल्याङ्कन से सम्बंधित सामग्री को प्रस्तुत किया गया है। नीचे दिए गए लेख-शीर्षक लिंक भी हैं। सिर्फ क्लिक करें। आशा है, यह काम पसंद आएगा।
अँधेरे में
Andhere Me Kavita Ka Path Vishleshan
'अंधेरे में' : एक विराट स्वप्न फैंटेसी - BBC हिंदी
अंधेरे में' : एक पाठ
मुक्तिबोध की कविता ‘अंधेरे में’ के पचास साल
अंधेरे में कविता का विश्लेषण
एक कविता के 50 बरस
भविष्य की ओर जाती कविता
मुक्तिबोध स्मृति-1 : एक दोपहर ‘अंधेरे में’
Andhere Mein by Muktibodh (Video Translation
मुक्तिबोध: ‘अंधेरे’ के उस महाकवि से बहुत कुछ सीखना बाकी है
इतिहास बनने से इनक़ार करती कविता: ‘अँधेरे में’
आधी सदी 'अँधेरे में' ; सवाल-दर-सवाल, ज़वाब-दर-ज़वाब
मुक्तिबोध लोकतंत्र के अंधेरे की शिनाख्त करने वाले कवि हैं
समीक्षा: 'अँधेरे में : पुनर्पाठ'
'अंधेरे में' पर विष्णु खरे का प्रतिवाद
शताब्दी स्मरण : मुक्तिबोध ‘अँधेरे में’ और हिंदी आलोचना
अँधेरे में : कहानी
हमारे समय के अंधेरे में
शिक्षा और मनोविज्ञान की भी गहरी समझ रखते थे मुक्तिबोध
मान्यता के लिए हर जतन करने वाले आज के युवाओं को उस उजले मुक्तिबोध की याद दिलानी चाहिए
जनता के सबसे विश्वसनीय कवि हैं मुक्तिबोध
मुक्तिबोध ज्ञान और संवेदना
मुक्तिबोध ज्ञान और संवेदना-2
Muktibodh Ke Pratik Aur Bimb
आलोचना का संकट और मुक्तिबोध का आत्मपक्ष
मुक्तिबोध : जीवन और कविता
मुक्तिबोध ज्ञान और संवेदना-3
जीवन-विवेक से साहित्य-विवेक तक : मुक्तिबोध
आज भी खरे हैं मुक्तिबोध
मुक्तिबोध अचानक क्यों लोकप्रिय हो उठे?
स्मरण: कवि मुक्तिबोध व त्रिलोचन
मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग - मुक्तिबोध को याद करते हुए
मुक्तिबोध के काव्य-संसार की यात्रा -कॉ. रामजी राय
मुक्तिबोध ने काव्य शिल्प के नए मानक बनाए - मैनेजर पांडेय
मुक्तिबोध - कुछ फुटकल बातें
मुक्तिबोध की कविताएँ और अधिक समकालीन होती जाती हैं।
मुक्तिबोध के पाठक की समस्याएँ
मुक्तिबोध शताब्दी वर्ष के रूप में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी
मुक्तिबोध ! तुम्हें बोध था मुक्ति के द्वार का
छायावाद का पुनर्मूल्यांकन और मुक्तिबोध
निराला की तरह अकेले समय को चुनौती देते हैं जटिल मुक्तिबोध
मुक्तिबोध शायद अकेले कवि हैं जिनकी कविताओं को अध्यायों की तरह भी पढ़ा-समझा जा सकता है
कलाकार की व्यक्तिगत ईमानदारी
Nirala Aur Muktibodh
निराला की तुलना में मुक्तिबोध क्या हैं,
राजनांदगाँव में मुक्तिबोध ; कुछ काव्य बिम्ब
एक सदी के मुक्तिबोध
मध्ययुगीन भक्ति आन्दोलन का एक पहलू – मुक्तिबोध
मुक्तिबोध काव्य की भाषा और शिल्प
'अंधेरे में' : एक विराट स्वप्न फैंटेसी - BBC हिंदी
अंधेरे में' : एक पाठ
मुक्तिबोध की कविता ‘अंधेरे में’ के पचास साल
अंधेरे में कविता का विश्लेषण
एक कविता के 50 बरस
भविष्य की ओर जाती कविता
मुक्तिबोध स्मृति-1 : एक दोपहर ‘अंधेरे में’
Andhere Mein by Muktibodh (Video Translation
मुक्तिबोध: ‘अंधेरे’ के उस महाकवि से बहुत कुछ सीखना बाकी है
इतिहास बनने से इनक़ार करती कविता: ‘अँधेरे में’
आधी सदी 'अँधेरे में' ; सवाल-दर-सवाल, ज़वाब-दर-ज़वाब
मुक्तिबोध लोकतंत्र के अंधेरे की शिनाख्त करने वाले कवि हैं
समीक्षा: 'अँधेरे में : पुनर्पाठ'
'अंधेरे में' पर विष्णु खरे का प्रतिवाद
शताब्दी स्मरण : मुक्तिबोध ‘अँधेरे में’ और हिंदी आलोचना
अँधेरे में : कहानी
समग्र
जन्म शती समारोह
हमारे समय के अंधेरे में
शिक्षा और मनोविज्ञान की भी गहरी समझ रखते थे मुक्तिबोध
मान्यता के लिए हर जतन करने वाले आज के युवाओं को उस उजले मुक्तिबोध की याद दिलानी चाहिए
जनता के सबसे विश्वसनीय कवि हैं मुक्तिबोध
मुक्तिबोध ज्ञान और संवेदना
मुक्तिबोध ज्ञान और संवेदना-2
Muktibodh Ke Pratik Aur Bimb
आलोचना का संकट और मुक्तिबोध का आत्मपक्ष
मुक्तिबोध : जीवन और कविता
मुक्तिबोध ज्ञान और संवेदना-3
जीवन-विवेक से साहित्य-विवेक तक : मुक्तिबोध
आज भी खरे हैं मुक्तिबोध
मुक्तिबोध अचानक क्यों लोकप्रिय हो उठे?
स्मरण: कवि मुक्तिबोध व त्रिलोचन
मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग - मुक्तिबोध को याद करते हुए
मुक्तिबोध के काव्य-संसार की यात्रा -कॉ. रामजी राय
मुक्तिबोध ने काव्य शिल्प के नए मानक बनाए - मैनेजर पांडेय
मुक्तिबोध - कुछ फुटकल बातें
मुक्तिबोध की कविताएँ और अधिक समकालीन होती जाती हैं।
मुक्तिबोध के पाठक की समस्याएँ
मुक्तिबोध शताब्दी वर्ष के रूप में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी
मुक्तिबोध ! तुम्हें बोध था मुक्ति के द्वार का
छायावाद का पुनर्मूल्यांकन और मुक्तिबोध
निराला की तरह अकेले समय को चुनौती देते हैं जटिल मुक्तिबोध
मुक्तिबोध शायद अकेले कवि हैं जिनकी कविताओं को अध्यायों की तरह भी पढ़ा-समझा जा सकता है
कलाकार की व्यक्तिगत ईमानदारी
Nirala Aur Muktibodh
निराला की तुलना में मुक्तिबोध क्या हैं,
राजनांदगाँव में मुक्तिबोध ; कुछ काव्य बिम्ब
एक सदी के मुक्तिबोध
मध्ययुगीन भक्ति आन्दोलन का एक पहलू – मुक्तिबोध
मुक्तिबोध काव्य की भाषा और शिल्प
मुक्तिबोध की कविता और फैंटेसी का शिल्प
गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ : अनवरत विद्रोही
Muktibodh ki kavya drishti ( 2 )
Muktibodh ki kavya drishti ( 3 )
मुक्तिबोध के नाम रही एक सार्थक शाम
मुक्तिबोध के बहाने हिंदी कविता के बारे में
मुक्तिबोध की कविताएँ: त्रिलोचन शास्त्री
उत्तर औपनिवेशिकता और मुक्तिबोध का काव्य
गजानन माधव मुक्तिबोध: हिन्दी के संघर्षशील जुझारू कवि
Samkaleen Hindi Kavita: Agyay aur Muktibodh ke Sandhrbh Mein
Muktibodh kavya ka mulyankan
मुक्तिबोध:सहायक पुस्तकें
मुक्तिबोध, एक सबसे बड़ा आत्माभियोगी कवि
मुक्तिबोध
गरबीली गरीबी यह, ये गंभीर अनुभव सब'
गजानन माधव मुक्तिबोध, Kavita
मुक्तिबोध: उनके वाक्य, ताला भी कुंजी भी
गोर्की और मुक्तिबोध के दो उद्धरण (Two Quotes of Gorky and Muktibodh)
मुक्तिबोध की रचनाओं को ब्लॅाग-संसार में लाने का एक प्रयास
फिर उसी मुक्तिबोध के अंधेरे में
मुक्तिबोध की रचनाओं में जन जीवन एवं सुधारवादी दृष्टिकोण - सपना मांगलिक
मुक्तिबोध' की याद
मुक्तिबोध की पत्रकारिता
बहुत दिनों से...
मुक्तिबोध की आलोचना-दृष्टि
‘पिस गया वह, भीतरी औ बाहरी दो कठिन पाटों बीच’
भूल-गलती
अभिनव मुक्तिबोध : साहित्य का पुनर्संदर्भीकरण
स्त्री की ओर से एक असंभव-सी माँग
नागार्जुन मुक्तिबोध से बड़े कवि
एक अनुशासनहीन फेंटेसी है ‘अँधेरे में’
सफलता के मायनों को आइना दिखाता कवि ‘मुक्तिबोध’
मुक्तिबोध की नई प्रवृत्तियाँ : नंद भारद्वाज
कोलाज
मुक्तिबोध न कोई पूर्वज....
मुक्तिबोध के बहाने फेसबुक पर भिड़े साहित्य जगत के लोग
पोस्ट लेवल : "मुक्तिबोध"
मुक्तिबोध की आलोचना-दृष्टि
‘पिस गया वह, भीतरी औ बाहरी दो कठिन पाटों बीच’
भूल-गलती
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स्त्री की ओर से एक असंभव-सी माँग
नागार्जुन मुक्तिबोध से बड़े कवि
एक अनुशासनहीन फेंटेसी है ‘अँधेरे में’
सफलता के मायनों को आइना दिखाता कवि ‘मुक्तिबोध’
मुक्तिबोध की नई प्रवृत्तियाँ : नंद भारद्वाज
कोलाज
मुक्तिबोध न कोई पूर्वज....
मुक्तिबोध के बहाने फेसबुक पर भिड़े साहित्य जगत के लोग
पोस्ट लेवल : "मुक्तिबोध"
मुक्तिबोध जी पर सराहनीय योगदान देने के लिए बधाई।
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